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भ्रष्टाचार क्या है? कारण और रोकने के उपाय

Publish: 05 July 2024, 6:24 am IST | Views: Page View 182

राज्य स्तर पर भ्रष्टाचार कैसे रोका जा सकता है, इसके सम्बंध में यह लेख तैयार किया गया है, यह लेख आप जरुर पढ़े।

भ्रष्टाचार क्या है

भ्रष्टाचार का सम्बंध असंविधानिक आचरण से है‚ अर्थात जहॉ पर भी कोई भ्रष्ट आचरण करता है उसे भ्रष्टाचार कहते है, संविधान के विरूध्द आचरण ही‚ भ्रष्ट आचरण है‚ जिसे भ्रष्टाचार कहते है।

आचरण किसे किहते हैॽ

व्यक्ति के द्वारा जो कर्म किये जाते है‚ उसे आचरण कहते है‚ कर्म अर्थात जो कार्य किया जाता है।

यह कैसे तय होता है‚ कि क्या आचरण करना हैॽ

हर देश का अपना एक संविधान होता है‚ संविधान अर्थात कानून‚ जिसमें बताया गया होता है‚ कहॉ पर किस तरह का ब्यव्हार करना है‚ किस तरह का वेशभूषा पहनना है‚ किस तरह का कर्म करना है‚ कहॉ पर किस तरह के नियम का पालन करना है।

अगर कोई संविधान के इन नियमों का उलंघन करता है‚ तो उसे भ्रष्टाचार माना जाता है‚ और उसे देश के कानून अर्थात संविधान का दोषी माना जाता है।

और उसे संविधान के द्वारा जो दंड देने का कानून बना होता है‚ उसके तहत दंड दिया जाता है।

क्या भ्रष्टाचार का सम्बंध केवल सरकारी विभाग से है

भ्रष्टाचार का सम्बंध केवल सरकारी विभाग से है नहीं है‚ यह आम नागरिक से लेकर सभी सरकारी प्राईवेट और हर किसी के लिए मान्य है।

ऐसा नहीं है‚ कि केवल सरकारी विभाग में ही भ्रष्टाचार होता है‚ एक आम नागरिक भी भ्रष्टाचार करता है।

भ्रष्टाचार के प्रकार

भ्रष्टाचार तीन प्रकार के होते है।

  1. मन (मानसीक भ्रष्टाचार)
  2. वाणी (मुॅह से बोलकर भ्रष्टाचार)
  3. कर्म (शरीर से कार्य करके भ्रष्टाचार)

मन (मानसीक भ्रष्टाचारः) में किसी के प्रति और अपने देश के प्रति किसी प्रकार का असंविधानिक विचार रखना मानसीक भ्रष्टाचार है।

चूॅकि मन के अन्दर देखा नहीं जा सकता‚ और मन एक विचार है‚ और यह परिवर्तनशील है‚ लेकिन जब देश भक्ति प्रदर्शित करने के समय देशभक्ति प्रदर्शित करनी होगी।

यही पर मन का भाव प्रदर्शित होता है।

जिसे अपने देश‚ और राष्ट्र के प्रति सच्ची निष्ठा कहते है‚ और जो भी अपने राष्ट्र के प्रति सच्ची निष्ठा नहीं रखता वह भारत के संविधान का दाेषी है।

इसलिए अपने देश के प्रति सदा सच्ची निष्ठा रखे।

वाणी (मुॅह से बोलकर भ्रष्टाचारः) मुॅह से बोलकर अंविधानिक कर्म करना‚ वाणी का भ्रष्टाचार कहलाता है।

संविधान के द्वारा तय किया गया है‚ कहॉ पर क्या बोलना है‚ किससे कैसी बात करनी है‚ एक आम नागरिक से भी उचित ब्यवहार करना है।

और जो भी इस किसी को संविधानिक बात करता है‚ उसे संविधान के द्वारा दंड दिया जाता है।

जैसे– किसी का अपमान करना‚ गाली देना‚ बोलकर नीचा दिखाना।

किसी के प्रति ऐसी शब्द बोलना जो असंविधानिक है।

जैस–जातिगत अपमान‚ रंग को लेकर‚ चेहरे को लेकर‚ इस तरह से संविधान में हर किसी के लिए समानता का व्यवस्था किया गया है‚ इसलिए किसी को गलत न कहे नहीं तो संविधान के द्वारा दंड दिया जायेगा।

मुॅह से बोलकर रिशवत मॉगना‚ बिगाड़ने की धमकी देना‚ बोलकर करने वाले कृत्य।

कर्म (शरीर से कार्य करके भ्रष्टाचारः) शरीर के द्वारा असंविधानिक कार्य करना‚ शारीरिक भ्रष्टाचार कहलाता है।

जैसे–आम लोगों में प्रचलन है‚ हॉथ और पैर से गलत करना।

सरकारी भ्रष्टाचार– लिखित भ्रष्टाचार‚ गडबडी करके भ्रष्टाचार‚और अनेक तरह से।

भ्रष्टाचार इन तीनों में से किसके अंतर्गत आता है‚ यह महत्वपूर्ण नहीं है‚ महत्वपूर्ण यह है‚ कि भ्रष्टाचार किया गया है‚या भ्रष्टाचार हुआ है या नहीं।

भ्रष्टाचार कितने तरह से होते हैॽ

भ्रष्टाचार दो तरह से होता है।

  1. अनजाने में भ्रष्टाचार हो जाना।
  2. जानबुझकर भ्रष्टाचार करना।

अनजाने में भ्रष्टाचारः जो भ्रष्टाचार कर रहा होता है‚ उसे पता नहीं होता है‚ कि वह भ्रष्टाचार कर रहा होता है‚ इस तरह से वह अनजाने में एक दिन इतना बड़ा भ्रष्टाचार कर बैठता है‚ जिसे माफ नहीं किया जा सकता।

जानबुझकर भ्रष्टाचारः जो भ्रष्टाचार कर रहा होता है‚ उसे पता होता है‚ कि यह जो कुछ भी कर रहा हॅू‚ यह भ्रष्टाचार है‚ लेकिन फिर भी वह ब्यक्ति जानबुझकर भ्रष्टाचार करता है।

अनजाने में भ्रष्टाचार होने का कारण

लोग संविधान का पालन करना चाहते होते है‚ लेकिन उन्हे पता ही नहीं होता‚ कि ऐसा नियम और कानून है‚ जिसके कारण अनजाने में भ्रष्टाचार हो जाता है।

जानबुझकर भ्रष्टाचार करने का कारण

भ्रष्टाचार की लिस्ट तैयार करना

भ्रष्टाचार की शिकायत करना

भ्रष्टाचार की शिकायत करने का तरीका क्या हो

प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से
प्रत्यक्ष तरीका

अप्रत्यक्ष तरीका

शिकायत के सम्बंध में सावधानी

भ्रष्टाचार की शिकायत पर कार्यवाही

भ्रष्टाचार को कैसे रोका जाए

कारगर उपाय:-

जिस चीज में सरकार पैसा खर्च कर रहा है, क्या वह सही तरीके से हो रहा है।

इस तरह से हम देखते है, हर पद में हर जगह पर भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है।

इसलिए कुछ अन्य उपाय देखते है-

जो भी भ्रष्टाचार जिस रूप में हो रहा है, उसका पूरा व्यौरा निकालना।

जैसे:-

क्या है? और क्या होना चाहिए इस पर कार्य होना चाहिए

भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ कौन लड़ाई लड़ना चाहता है

भ्रष्टाचार होने का कारण

संविधान निर्माता बाबा साहब डाॅ。भीमराव अम्बेडकर ने कहॉ है‚

संविधान चाहे कितना भी अच्छा क्यों न हो‚ अगर संविधान चलाने वाले सरकार गलत है‚ तो निश्चित की संविधान बुरा साबित होगा।

संविधान चाहे कितना भी बुरा क्यों न हो‚ अगर संविधान चलाने वाले सरकार अच्छे है‚ तो संविधान अच्छा साबित होगा।

किसी भी देश और राज्य को वहॉ की सरकारे चलाती है‚ सरकार की जैसी नियत होती है‚ वैसा ही भ्रष्टाचार का स्तर होता है।

जहॉ पर जिस राज्य और केन्द्र में जितना जायदा भ्रष्टाचार होता है‚ वहॉ की सरकारे उतनी जायदा भ्रष्टाचारी होती है।

सरकारे चाहे तो अपने राज्य का भ्रष्टाचार बंद कर सकती है‚ जिसको जनता के लिए वास्तव में कुछ करना होता है‚ जो वास्तव में जनता का भला चाहते है‚ वहीं सरकार भ्रष्टाचार बंद कर सकती है‚ और कोई नहीं।

सरकार के भ्रष्टाचारी होने का कारण

सरकार वास्तव में भ्रष्टाचारी ही होती है, इसलिए जनता को चाहिए, सरकार से हिसाब मांगे

सरकार भ्रष्टाचार बंद क्यो नही करती

भ्रष्टाचार करने से ही उसको अपना निजी लाभ मिलता है, इसलिए भ्रष्टाचार बंद नहीं करना चाहते

भ्रष्टाचार न हो इसका आसान उपाय

जनता को इतना जागरूक कर दो की‚ इतना जागरूक कर दो की‚ कि जनता पूरी तरह से जागरूक हो जाए‚ और भ्रष्टाचार करने वाले के उपर कार्यवाही के लिए अड जाए।

अगर कार्यवाही नहीं होता है‚ तो सरकार को उखाड़कर फेंक दे।

यहीं कारगर उपाय है।

लेकिन जनता को जागरूक करना इतना आसान काम नहीं है‚ जनता को सरकार इस तरह से बॉट के रखती है‚ कि ये आपस में किसी-किसी तरह से लड़ते रहे।

अगर भाईचारा हो रहा है‚ तो बिगाड़ दो‚

आपस में लड़वा दो।

भ्रष्टाचार क्यो होता है।

जनता जागरूक नहीं है, इसलिए भ्रष्टाचार होता है,

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