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छत्तीसगढ़ के प्रमुख जल संसाधन

Publish: 27 March 2025, 1:59 am IST | Views: Page View 326

छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर राज्य है, जहाँ जल, वन और खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। यहाँ की नदियाँ, झीलें, जलप्रपात, बांध और जलविद्युत परियोजनाएँ कृषि, उद्योग और पेयजल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं। जल संसाधनों के कारण ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि आधारित है और इसे "धान का कटोरा" कहा जाता है।

छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियाँ

छत्तीसगढ़ कई महत्वपूर्ण नदियों का उद्गम स्थल है, जो न केवल इस राज्य बल्कि आसपास के क्षेत्रों के लिए भी जल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत हैं। ये नदियाँ कृषि, मत्स्य पालन, पेयजल, जलविद्युत और उद्योगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

1. महानदी

महानदी छत्तीसगढ़ की सबसे महत्वपूर्ण नदी है। यह रायपुर जिले के सिहावा पर्वत (धमतरी) से निकलती है और ओडिशा होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इस नदी के किनारे कई प्रमुख सिंचाई और जलविद्युत परियोजनाएँ स्थापित की गई हैं, जैसे कि गंगरेल बांध और हसदेव बांगो बांध।

2. शिवनाथ नदी

शिवनाथ नदी महानदी की एक प्रमुख सहायक नदी है, जो राज्य के दुर्ग, राजनांदगांव और कवर्धा जिलों से होकर बहती है। यह नदी छत्तीसगढ़ की जल आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

3. इंद्रावती नदी

इंद्रावती नदी बस्तर जिले से होकर बहती है और गोदावरी नदी में मिलती है। इस नदी के जल से कई आदिवासी क्षेत्रों को लाभ मिलता है। यह चित्रकोट जलप्रपात का निर्माण करती है, जिसे भारत का "नियाग्रा फॉल" कहा जाता है।

4. हसदेव नदी

यह नदी कोरबा और जांजगीर-चांपा जिलों में बहती है। हसदेव नदी पर निर्मित हसदेव बांगो बांध राज्य की प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं में से एक है।

5. अरपा नदी

बिलासपुर जिले में बहने वाली यह नदी कृषि और जल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। अरपा नदी के किनारे कई ऐतिहासिक स्थल भी स्थित हैं।


छत्तीसगढ़ के प्रमुख जलप्रपात (झरने)

छत्तीसगढ़ की नदियों और पहाड़ी भूभाग के कारण यहाँ अनेक सुंदर जलप्रपात मौजूद हैं, जो जल स्रोतों के साथ-साथ पर्यटन का भी प्रमुख केंद्र हैं।

1. चित्रकोट जलप्रपात

बस्तर जिले में स्थित यह भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात है, जिसे 'भारत का नियाग्रा फॉल' भी कहा जाता है। यह इंद्रावती नदी पर स्थित है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।

2. तीरथगढ़ जलप्रपात

यह कांकेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित एक बहु-स्तरीय झरना है, जो घने जंगलों के बीच गिरता है और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

3. अमृतधारा जलप्रपात

कोरिया जिले में स्थित यह झरना धार्मिक महत्व रखता है और यहाँ हर साल शिव भक्तों का मेला लगता है।

4. राजपुरी जलप्रपात

जशपुर जिले में स्थित यह झरना घने जंगलों के बीच बहता है और अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।

5. मड़कु जलप्रपात

बिलासपुर जिले में स्थित यह झरना जल आपूर्ति और पर्यटन दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।


छत्तीसगढ़ के प्रमुख जलाशय, झीलें और तालाब

छत्तीसगढ़ में कई प्राकृतिक और कृत्रिम झीलें तथा तालाब हैं, जो जल संरक्षण और पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण हैं।

1. गंगरेल जलाशय

रविघाट बांध के रूप में भी जाना जाने वाला यह जलाशय महानदी पर स्थित है और छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा जलाशय है। यह सिंचाई और जलविद्युत उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।

2. बुढ़ा तालाब (विवेकानंद सरोवर)

रायपुर में स्थित यह तालाब ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है।

3. दलपत सागर

जगदलपुर में स्थित यह छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी झीलों में से एक है और पर्यटन का प्रमुख केंद्र है।

4. मरीन ड्राइव तालाब

यह तालाब रायपुर में स्थित है और स्थानीय लोगों के लिए प्रमुख पर्यटन स्थल है।


छत्तीसगढ़ के प्रमुख बांध और जलविद्युत परियोजनाएँ

राज्य की जलविद्युत उत्पादन क्षमता का अधिकांश भाग यहाँ के बांधों से आता है।

1. गंगरेल बांध (रविघाट बांध)

यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा बांध है और महानदी पर स्थित है। इससे राज्य के कई जिलों को जल और बिजली आपूर्ति होती है।

2. हसदेव बांगो बांध

यह कोरबा जिले में स्थित है और हसदेव नदी पर बना है। यह छत्तीसगढ़ की सबसे प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं में से एक है।

3. कोडार बांध

शिवनाथ नदी पर स्थित यह बांध सिंचाई और जलविद्युत उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।

4. सिकासर बांध

बालोद जिले में स्थित यह बांध राज्य की जल आपूर्ति में योगदान देता है।


छत्तीसगढ़ में जल संसाधनों का महत्व

छत्तीसगढ़ में जल संसाधन न केवल जीवन का आधार हैं, बल्कि इनका कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान है:


निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ अपने समृद्ध जल संसाधनों के कारण एक जल संपन्न राज्य है। नदियाँ, झरने, झीलें, बांध और जलाशय राज्य की अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जल संसाधनों का सतत उपयोग और संरक्षण आज की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इन प्राकृतिक संपदाओं का लाभ उठा सकें। जल ही जीवन है, और छत्तीसगढ़ की प्रगति के लिए जल संसाधनों का संतुलित उपयोग आवश्यक है।

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