ग़रीबी रेखा क्या है ? ग्रामीण गरीब और शहरी गरीब कौन कहलायेंगे?
Publish: 05 July 2024, 4:38 pm IST | Views: 153
ग़रीबी रेखा को समझने से पहले ग़रीबी को समझना जरुरी है,
भोजन, मकान, और कपड़ा और जीवन की इस तरह की अन्य मूलभूत आवास्यक्ताओ की पूर्ति न हो पाने से, जो प्रभाव पड़ता है, जिससे ग़रीबी उत्पन्न होती है, और जो इनकी आवश्यकता की जो पूर्ति नहीं कर पता उसका नाम ग़रीबी है।
जीवित रहने के लिए भोजन, मकान, और कपड़ा जरुरी होते है।
वैसे सभी देश ग़रीबी हटाने के लिए लगा हुआ है, लेकिन भारत देश की इस्तिथि बद से बत्तर होते जा रही है, आइये जानते है, भारत देश की ग़रीबी को किस तरह से चुना जाता है, और ग़रीबी रेखा किस प्रकार निश्चित की गई है, अगस्त 1979 में कृषि मंत्रालय के एक विभाग को ग्रामीण पुनःनिर्माण का दर्जा दिया गया | इस विभाग के अनुसार यदि किसी परिवार की आमदनी 3500 रूपये प्रति वर्ष से कम है तो उसे ग़रीबी से ग़रीबी रेखा के नीचे माना जायेगा।
भारत देश में ग़रीबी रेखा से आने वाले परिवारों में सबसे जायदा गाँव के किसान है, और जिसके पास कुछ नहीं अर्थात मजदुर, कारीगर, और पिछड़े वर्ग के लोग, और अनुसूचित जनजाति के आदिवासी परिवार, और खास करके साताये गए, अनुसूचित जाति के दलित लोग आते है, इनका निवास स्थान उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश, और छत्तीसगढ़ में है।
योजना आयोग के अनुसार सन 1978 में ग्रामीण छेत्रो में 25.16 कारोड़ लोग और शहरी छेत्रो में 5.11 करोड़ लोग ग़रीबी रेखा के नीचे थे,
वर्तमान में ग़रीबी रेखा की इस्तिथि इस प्रकार से है ,
जो शहर में दिन में 32 रूपये से अधिक खर्च करे,
और ग्रामीण में 28 रूपये से अधिक वह गरीब रेखा के ऊपर माने जायेगे, और इससे कम खर्च करने वाले गरीब कहलायेंगे।
सरकार हर तरफ से दावा करती है, की हमने गरीबो को ऊँचा उठाने के लिए अनेक योजनाए निकाली है,
जैसे कुछ साल पहले आई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
सुरुआत में इस योजना का जोर शोर से प्रदर्शन किया गया, लेकिन गरीबो को मिला ठेंगा, किसी गरीब को कोई लोन नहीं दिया गया |
अगर इसकी वास्तविकता जानना चाहते है तो किसी भी बैंक में RTI लगा ले,
कितने लोगो ने आवेदन किया है, और कितने लोगो को इसका लाभ मिला है।
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