सतनामी समाज (Satnami Samaj) और सतनाम धर्म की पूरी जानकारी
Publish: 27 June 2023, 3:31 am IST | Views: 306
सतनामी समाज और सतनाम धर्म सतनामी लोगों की पूरी जानकारी
सतनाम एक धर्म है एक विचार है, और जो सतनाम की विचारधारा में आगे बढ़ता है, वह सतनामी कहलाता है |
क्या सतनामी कोई जाति है ?
जब जाति में लोगो को कार्य के आधार पर बाँटा गया तो सतनामियो को सतनामी जाति का नाम दे दिया गया |
वास्तव में सतनामी कोई जाति नहीं है एक धर्म है |
जो लोग सतनाम के राह में चलते है, वह सतनामी कहलाते है |
यह कोई जाति नही है, यह विचारधारा है |
क्या सतनाम एक पंत है ?
सतनाम कोई पंत नहीं है, यह धर्म है,
पंत इसलिए कह दिया जाता है, क्योकि वर्तमान में सतनाम धर्म को संविधान के अनुसार मान्यता नहीं मिल पाई है,
पंत धर्म का एक हिस्सा होता है, और धर्म, पंत का सर्वोपरि होता है |
धर्म का अलग से संस्कार नियम होता है |
इसी प्रकार से सतनाम के मानने वालो का भी अलग से नियम है |
जब तक सतनाम धर्म को मान्यता नहीं मिल जाती तब तक लोग, सतनामी को पंत का हिस्सा मानते रहेंगे |
लेकिन वास्तव में यह धर्म है, जो हजारो वर्षो से चली आ रही है,
सतनाम धर्म क्या है ?
सत अर्थात सत्य
सतनाम का श्रोत केंद्र ज्ञान है |
सतनाम की मुख्य धारा समानता है,
जो सतनाम को मानते है ओ समानता को ही सर्वोपरि मानते है |
समानता ही सतनाम का मूल उद्देश्य है |
सतनाम सभी को समानता की नजर से देखता है,
सतनाम सभी मानव को एक नजर से देखता है,
सतनाम मानव को, मानव-मानव एक सामान मानने और जानने पर जोर देता है |
जो सत्य के राह में, वास्तविकता के साथ चलता है, इसी का नाम सतनाम है |
जैसे :-
सतनाम में आडम्बर का कोई स्थान नहीं है |
और न ही किसी प्रकार व्यर्थ के कर्मो का,
सतनाम के मानने वाले, विज्ञानवादी होते है, सत्य ही विज्ञान है,
जैसे :- सतनाम के मानने वाले, संसार की उत्पत्ति को विज्ञान के अनुसार, गुरुत्वाकर्षण सिध्धांत को मानते है |
और संसार का मालिक कर्ता-धर्ता सतनाम को मानते है |
अर्थात सत्य को, वास्तविकता को,
सतनाम के मानने वाले, तर्कशील होते है,
सतनाम के मानने वाले आत्म उर्जा पर विश्वास करते है |
अर्थात शरीर मन की ध्यान साधना,
सतनाम धर्म को मानने वालो का जीवन,
सतनाम के मानने वाले अभिवादन में साहेब सतनाम कहते है |
सतनाम को मानने वाले व्यर्थ के आडम्बर में विश्वास नहीं करते, खान-पान शाकाहारी होते है,
सतनाम को मानने वाले नशा सेवन नहीं करते |
सतनाम के मानने वाले मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करते |
सतनामी परिवार एक विशेष नियम होता है, घर पर कोई भी आये पीने के लिए पानी अवश्य देते है |
सतनाम के मानने वाले देवी देवताओ की पूजा नहीं करते |
सतनाम धर्म का चिन्ह और पूजा श्रोत |
सतनाम के मानने वाले मूर्ति पूजा को नहीं मानते,
सतनाम में एक विशेष प्रकार के चिन्ह जिसे जैतखाम कहते है,
जैतखाम के ऊपर सफ़ेद रंग का एक चौकोर झंडा लगा होता है,
सतनाम के मानने वाले उसकी पूजा करते है |
जैतखाम में दीप जला सकते है लेकिन धुप, अगरबत्ती, नहीं जला सकते,
क्योकि दीप रौशनी अंधेरो को मिटाता है, और अगरबत्ती खुशबू ले लिए जलाया जाता है, इसलिए इसे आडम्बर, और गलत माना जाता है |
सतनाम के मानने वाले जीवित लोगो को वास्तविक भगवान मानते है,
सतनाम के मानने वाले फोटो पूजा और चित्र पूजा नहीं मानते और न ही करते है |
इस जैतखाम को, जीतखाम और सतनाम विजय स्तम्भ के नाम से भी जाना जाता है, इसका अर्थ सत्य की विजय चिन्ह, सत्य की जय हो, इस तरह का माना जाता है |
सतनाम के मानने वालो का विवाह संस्कार |
सतनाम के मानने वाले साक्षी के रूप में समाज को मानते है,
सतनामी जैतखाम के भांवर फेरे लेते है |
सतनामी जाति, धर्म, वर्ण, परंपरा को नहीं मानते, ये सभी को सामान रूप से जानते है, इस अनुसार से किसी भी जाति धर्म के लोगो से विवाह करने में परहेज नहीं करते |
सतनाम धर्म में जाति परंपरा नहीं होती |
सभी सतनाम के मानने वाले उपनाम में सतनामी लिखते है |
लेकिन आज मनुवादी परम्परा में बंटे होने के कारण गोत्र को भी मान लेते है |
सतनाम धर्म के ज्ञान गुरु, और विशेष ज्ञान,
सतनाम धर्म का मुख्य गुरु संत शिरोमणि गुरुघासीदास बाबा को माना जाता है, और कबीर, गुरुनानक, बालकदास, और सभी गुरु…….
सतनाम धर्म में मानव-मानव के बीच भेदभाव, ऊँचनीच, छुआछुत नहीं माना जाता |
सतनाम के मानने वाले लग्न, शुभ मुहूर्त, अशुभ, राशी, इस तरह के आडम्बर ढोंग को नहीं मानते |
सतनाम के मानने वाले मरने पर व्यर्थ धन खर्च नहीं करते, और मुर्दे को दफ़नाने में जायदा महत्व देते है,
मिटटी से पैदा लिए मिटटी में मिल जायेंगे,
शव जलाना को सतनाम में, वायु प्रदुषण, और जलायु लकड़ी का नाश माना जाता है |
सतनाम के मानने वाले बच्चे के जन्म को उत्सव के रूप में मनाते है |
सतनाम के मानने वाले का गीत, और डांस
सतनाम में एक विशेष प्रकार का गीत जिसे पंथी गीत कहते है, और पंथी नित्य होता है | जिसे सभी द्वारा गया और बजाया जाता है, और नित्य किया जाता है |
सतनाम का कुछ हिन्दू धर्म से मेल नहीं खाता |
सतनाम एक अलग से धर्म है,
लेख –योगेन्द्र कुमार
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