जनपद पंचायत के कार्य
Publish: 04 November 2025, 3:56 am IST | Views: 171
छत्तीसगढ़ में जनपद पंचायतें (जिला पंचायतें) पंचायती राज व्यवस्था का मध्य स्तर हैं, जो जिला स्तर पर कार्य करती हैं। इनके कार्यों को मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम, 1993 और संविधान के 73वें संशोधन द्वारा निर्धारित किया गया है।
जनपद पंचायत के प्रमुख कार्यों को निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
1. विकासात्मक योजना एवं कार्यान्वयन (Developmental Planning & Implementation)
- जिला स्तरीय योजना बनाना: जिले के समग्र विकास के लिए पंचवर्षीय योजना और वार्षिक योजना बनाना।
- कृषि का विकास: कृषि विस्तार, बीज वितरण, कीटनाशक प्रबंधन, और किसानों को प्रशिक्षण देना।
- सामाजिक वानिकी: वृक्षारोपण को बढ़ावा देना और पर्यावरण संरक्षण।
- लघु सिंचाई परियोजनाएं: छोटे बांध, तालाबों, नहरों का निर्माण और रखरखाव करना।
- ग्रामीण उद्योग: कुटीर उद्योगों, हस्तशिल्प और लघु वनोपज को बढ़ावा देना।
- ग्रामीण आवास: इंदिरा आवास योजना और राज्य आवास योजनाओं को लागू करना।
2. सामाजिक कल्याण (Social Welfare)
- शिक्षा: प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा का प्रसार, स्कूल भवनों का निर्माण एवं मरम्मत, और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना।
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) और उप-स्वास्थ्य केंद्रों का प्रबंधन, टीकाकरण अभियान चलाना, और स्वच्छता अभियानों (जैसे स्वच्छ भारत मिशन) को लागू करना।
- महिला एवं बाल विकास: आंगनवाड़ी केंद्रों का संचालन, पोषण कार्यक्रम, और महिला सशक्तिकरण से जुड़े कार्यक्रम चलाना।
- समाज कल्याण: विकलांगजनों, अनुसूचित जाति/जनजाति के कल्याण के लिए योजनाएं बनाना और लागू करना।
3. बुनियादी ढांचा का विकास (Infrastructure Development)
- सड़कें: जिले की प्रमुख पंचायत सड़कों और ग्रामीण सड़कों का निर्माण एवं रखरखाव करना।
- पेयजल व्यवस्था: ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए हैण्डपम्प, कुएं, पानी के टैंक आदि का निर्माण करना।
- बिजली: ग्रामीण विद्युतीकरण में सहयोग देना और स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था करना।
- बाजार एवं मेले: ग्रामीण हाट बाजारों और मेलों का विकास एवं प्रबंधन करना।
4. प्रशासनिक एवं वित्तीय कार्य (Administrative & Financial Functions)
- वित्तीय प्रबंधन: जनपद पंचायत को मिलने वाले राजस्व का प्रबंधन करना, जैसे कि राज्य वित्त आयोग की अनुदान राशि और केंद्र प्रायोजित योजनाओं का बजट बनाना।
- कर्मचारियों का प्रबंधन: जनपद पंचायत के अपने कर्मचारियों की नियुक्ति, तबादला और अनुशासनिक कार्यवाही करना।
- निगरानी एवं समन्वय: ग्राम पंचायतों और जनपद पंचायतों के कार्यों की निगरानी करना तथा उनके बीच समन्वय स्थापित करना।
- डेटा संग्रहण: जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से विभिन्न आर्थिक और सामाजिक आंकड़े एकत्र करना।
5. विशेष भूमिका (छत्तीसगढ़ के संदर्भ में) - Special Role (In Context of Chhattisgarh)
छत्तीसगढ़ एक ग्रामीण और जनजातीय बहुल राज्य है, इसलिए यहां जनपद पंचायतों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है:
- जनजातीय उप-योजना (TSP) का क्रियान्वयन: अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए बनी विशेष योजनाओं को लागू करना।
- वन अधिकार पट्टों (Forest Rights Act) के क्रियान्वयन में सहयोग।
- मनरेगा (MGNREGA) की जिला स्तरीय समन्वय समिति का अध्यक्ष होना और योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी करना।
- राज्य सरकार की प्रमुख योजनाओं जैसे नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी (सुराजी गांव योजना) और गोधन न्याय योजना को जिला स्तर पर लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना।
निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ में जनपद पंचायत ग्रामीण विकास की रीढ़ की हड्डी के समान है। यह केवल एक नीचे से ऊपर (Bottom-Up) योजना बनाने का माध्यम ही नहीं, बल्कि जिले के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का एक शक्तिशाली इंजन है। यह सुनिश्चित करती है कि विकास की योजनाएं और लाभ राज्य स्तर से सीधे जिले और फिर गांव तक पहुंच सकें।
Categories: Chhattisgarh, Janpad Panchayat











