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सभी प्रकार के विराम चिन्ह, एवं उपयोग, Punctuation in Hindi

Publish: 01 June 2024, 4:44 am IST | Views: Page View 173

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Hindi Me Sabhi Prakar Ke Viram Chinh

सभी प्रकार के विराम चिन्ह, Punctuation

विराम चिन्हों में अब अनेक चिन्ह सम्मिलित कर लिए गए हैं, और सभी का काम रुकने का संकेत देना ही नहीं है, किंतु प्रारंभ के विराम चिन्ह रुकने का ही संकेत देते थे, तथा आज भी प्रमुख विराम-चिन्ह रुकने का  या विराम का ही संकेत देते हैं, इसलिए इन्हें विराम चिन्ह कहा जाता है विराम चिन्ह की उपयोगिता अर्थघोतन उच्चारण व्याकरण कार्य आदि कई दृष्टियों से है |

 हिंदी में विराम चिन्ह

चिन्ह के रूप में मुख्यतः निम्नांकित चिन्हों का प्रयोग होता है:-

1  अल्पविराम ( कामा)       ( ,  )
2  अर्धविराम                   (  ;  )
3  पूर्ण विराम                  (  |  )
4  प्रश्न सूचक चिन्ह        (  ?  )
5 आश्चर्य सूचक चिन्ह     (  !  )
       इनके अतिरिक्त निम्नांकित विरामचिन्ह भी प्रायः बनाए जाते हैं,  यद्यपि वास्तविक रुप में इन्हें विराम चिन्ह ना कहकर ‘ चिन्ह’  कहना अधिक उपयुक्त होगा |  यूं उनकी जानकारी भी शुद्ध लेखन और पठन की दृष्टि से अपेक्षित है:-
1 कोलन  (  :  )
2  डैस     ( —  )
3 कोलन तथा ड्रेस का वितरण चिन्ह    (  :-  )
4  योजक चिन्ह (हाइफन)     (  –  )
5 उद्धरण चिन्ह   (  ” ”  )
6  कोष्टक      ( (    ) )
7   संक्षेप सूचक चिन्ह  (  ०  )
8  काक पद अथवा हंस पद  (  ^  )

9 इत्यादि चिन्ह……. इन्हें क्रमश  लिया जा रहा है :-

अल्पविराम-  (  ,  )

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इस विराम चिह्न का प्रयोग कहां किया जाता है, जहां बोलने पढ़ने में “ अल्प”   या थोड़ी देर के लिए रुकना पड़ता है|

इसका प्रयोग मुख्यतः निम्नांकित स्थितियों में होता है:-

(1) जहां एक ही प्रकार के पद,  शब्द, पदबंध या वाक्यांश आएं,  किंतु उनके बीच में ‘ और’ ‘  तथा’  आदमी समुच्चयबोधक शब्द ना हो |  जैसे 

( अ )  श्याम,  कृष्ण,  मधुकर,   धिरहे और सुरेंद्र पढ़ रहे हैं | 

( आ)  वहां गोरा,  स्वस्थ,  सुंदर,  सुशील, मिलनसार और योग्य है| 

( इ)  अभी मुझे नहाना,  खाना, आराम करना और पत्र लिख रहे हैं | 

(ई)  मोहन की टैक्सी  का चालक, प्रेस का चौकीदार,  US बैंक चपरासी तथा नेता बना   फिरने वाला  धूर्त,  चारों  ही उस मुकदमें में पकड़ लिए गये  |

अर्धविराम- (  ;  )

इसका प्रयोग वहाँ किया जाता है, जहां अल्पविराम से कुछ अधिक किंतु पूर्णविराम से कुछ कम समय रूकना अपेक्षित होता है |  सामान्यता इसके स्थान पर लोग या तो अल्पविराम का प्रयोग करते हैं या वाक्य को तोड़कर कई वाक्य बना लेते हैं, अतः पूर्ण विराम का प्रयोग करते हैं |इस तरह इसका प्रयोग बहुत कम होता है |  बहुत से लोग तो इसका प्रयोग बिल्कुल करते ही नहीं तथा अल्प और पूर्ण से ही काम चला लेते हैं |

अर्धविराम का प्रयोग निम्नांकित स्थितियों में किया जाता है
जहां कई वर्गों की बात की जा रहे हो, प्रत्येक के बाद अल्पविराम तथा वर्ग के बाद अर्ध विराम लगाते हैं, मैं कल 3 महीने के लिए बाहर जा रहा हूं | मेरे लिए कुछ पेंट, और कमीजें, जूते चप्पल और सैंडल, साबुन, तेल और कंघी, तथा किताबें, फाइल और कोरे कागज   आदि निकाल कर रख दो |
यदि किसी वाक्य के उपयोग के आपस में बहुत संबंध ना हो तो उनके बीच भी अर्धविराम देते हैं,  वहां फिर आएगा, सब को परेशान करेगा, किसी का भी कहना नहीं मानेगा, लगता है  फिर वही पूरी कहानी दोहराई जाएगी |
 यदि उप वाक्यों के भीतर अल्पविराम  हो, तो भ्रांति से बचने के लिए आरंभिक तथा मध्यवर्ती उप वाक्यों के अंत में अल्पविराम लगाते हैं, मोहन का लड़का श्याम, आना चाहे तो आ जाए;  बस शर्त यह है, कि  परिश्रम से अपना काम करें |

पूर्ण विराम- (  |  )

रुकने की मात्रा की दृष्टि से पूर्ण विराम सबसे  दीर्घ होता है |  इसका प्रयोग अन्य विराम से बहुत अधिक होता है |  पूर्ण विराम निम्नांकित स्थानों पर प्रयुक्त होता है:-
 प्रत्येक वाक्य के अंत में यह आता है |
 छंदों में यदि  पादों का  छंद है तो कुछ लोग तो दूसरे और चौथे के अंत में पूर्ण विराम लगाते हैं, कुछ लोग पहले और तीसरे के अंत में अल्पविराम दूसरे के अंत में पूर्ण विराम तथा चाहते के अंत में दो पूर्ण विराम मुक्त छंदों में भी  आवश्यकतानुसार  पूर्ण विराम का प्रयोग मध्य में या अंत में कहीं भी किया जाता है |
प्रश्न सूचक चिन्ह
  अपवादों की बात छोड़ दें तो यह भी एक प्रकार का पूर्ण विराम ही है | इसका प्रयोग प्रश्न सूचक वाक्यों के अंत में होता है |  प्रश्न-  तुम कहां जा रहे हो ?  उत्तर-  घर |  यहां भी ध्यान देने की बात है कि पूरा वाक्य  न हो,  किंतु  प्रश्न हो तब यहां चिन्ह लगाते हैं |  जैसे-  प्रश्न- तुम्हारा नाम?  उत्तर- योगेंद्र |  और तुम्हारा ?  उत्तर- यशराज

 आश्चर्य सूचक चिन्ह-  (  ! )

 यह भी एक प्रकार का पूर्ण विराम ही है जो आश्चर्य, गिड़ा आदि का भाव व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होता है | इसके प्रयोग की मुख्य स्थितियां निम्नांकित है–
आश्चर्य सूचक वाक्य के अंत में वह मर गया !   अरे !  वह मर गया | तुम और फेल हो गए |  अब ऐसे शब्दों के साथ अल्पविराम भी लगाते हैं |
 आश्चर्य सूचक शब्दों के बाद– है !
 संबोधन के लिए भी इस  चिन्ह का प्रयोग होता है,   मोहन जरा सुनना !  इस स्थिति में भी प्राया अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है |
 घृणा सूचक शब्दों और वाक्यों के बाद- छी:- छि: !ऐसी गंदगी !
 क्षोभसूचक शब्दों और वाक्यों के बाद- उफ !  तुम इतने घृणित हो |
 हर्ष सूचक शब्दों और वाक्यों के बाद-  वाह ! कमाल कर दिया |

 कोलन-  (  :-  )

 कोलन और डैस इन दोनों का प्रयोग विकल्प से आगे आने वाली बातें, तथा उदाहरण आदि के लिए होता है, मुख्य बातें यह है, :-  उपयुक्त तीनों प्रयोगों में कोई अंतर नहीं है |  किंतु अन्य प्रयोगों की दृष्टि से इनमें कुछ अंतर है |

 योजक चिन्ह (हाईफन)-  (  –  )

 दो या अधिक शब्दों को जोड़ने के लिए प्रायः समस्त पदों में इसका प्रयोग होता है |  दौड़- धूप,  आस- पास,   एक- एक, मील पर,  सत्यम-शिवम-सुंदरम | इसी प्रकार शेषांष संकेत के लिए भी यहां प्रयुक्त होता है, जैसा कि पीछे कहा जा चुका है |

उद्धरण अथवा अवरण चिन्ह-( ”  ” )

 यह एक ‘नगर’ अथवा  युग्म ‘नगर’ होता है | प्रयोग के संबंध निम्नांकित बातें याद रखने की है |
किसी व्यक्ति का कथन अथवा लिखित सामग्री का अंश ज्यों का त्यों उद्धृत करने के लिए इनका प्रयोग होता है  | कबीर कहते हैं, दुनिया ऐसी बावरी पाथर पूजन जाय |इसे इस रूप में भी कहा जा सकता है | दुनिया ऐसी बावरी अर्थात ऐसी स्थिति में दोनों में किसी का भी प्रयोग हो सकता है |यो अब दो चिन्हों के इस स्थान पर एक का प्रयोग बढ़ता जा रहा है उस नामो के दोनों और भी इसे लगाते हैं | रामधारी सिंह दिनकर सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ |

 कोष्टक- (  )

 यह तीन प्रकार का होता है | सामान्यता लेखन में प्रायः(  )  का ही प्रयोग अधिक होता है | शेष मुख्यत: गणित में प्रयोग होता है | यदि एक कोस्टक के भीतर दूसरा देना हो तो दोनों का भी प्रयोग कर देते हैं | वह तस्वीर हुसैन जिसे भारत के प्रसिद्ध चित्रकार ने बनाया था सभी को बहुत पसंद आ गई |कोष्टक में कुछ प्रयोग होता है |टंडन (जो बाद में डॉक्टर टंडन हो गए थे )  का वह लेख बड़ा ही उत्तेजक था | राम जी की वहां दुर्घटना ( जिसमें दूसरे  ही दिन उनकी मृत्यु हो गई थी)  देखकर मेरा जितना इन हुआ कि मैंने बहुत दिनों तक वहां रास्ता ही छोड़ दिया |

 संक्षेप सूचक चिन्ह  ( ०  )

संक्षेप सूचित करने के लिए इसका प्रयोग होता है | कृ० पृ० उ० कृपया पृष्ठ उलटिए  डॉक्टर   एम०ए०   बी ० ए०  के स्थान पर कुछ लोग (.)  दशमलव का प्रयोग भी करते हैं |

काकपद अथवा हंसपद ( ^ )

कौवा या हंस जब चलता है तो भूमि पर ऐसे(^) ही निशान बन जाते हैं इसी आधार पर यह नाम पड़ा है | लिखने में कुछ छूट गया हो तो इसके द्वारा उसे जोड़ते हैं जैसे मैं कल       को जाऊंगा |  यहां पर कल के बाद शाम को लिखना हम भूल गए हैं इस स्थिति में कल के बाद हंस पद लिख देंगे और बोले हुए शब्द को ऊपर लिख देंगे |
 जैसे- मैं कल ^ को जाऊंगा |शाम को हंस पद के ऊपर लिखना है |

 इत्यादि सूचक

 इसके लिए देते ……….. हैं |  आधुनिक कथा साहित्य में इसका प्रयोग कहां किया जाता है | यहां कुछ करने के बाद शेष बातें, शब्द का वाक्य पाठक को कल्पना के लिए जोड़ दिया जाए | जैसे वह  धूर्त हैं, मक्कार दगाबाज है,  चिंतन प्रक्रिया का धुंधला संकेत देने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है वह सोच रहा था . . . . . .  . . . परीक्षा . . . . . . .पहाड़. . . . . . .  . परीक्षा. . . . .  . . रेखा इत्यादि |

Categories: Hindi (हिन्दी), Best Writing Qualities

Tags: Viram Chinh, Punctuation